Nipun bharat mission

यदि आप भी nipun bharat mission के बारे में जानकारी ढूँढ रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आये है.

आज की इस पोस्ट में हम आपको nipun bharat mission की संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

अगर हम शिक्षा की दृष्टि से देखें तो विकास राष्ट्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारत सरकार ने 2020 में एक नई एजुकेशन पॉलिसी, यानि शिक्षा की एक नई तकनीक को शिक्षा के  क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए लौंच किया था।

इस नियम के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बदलाव हुए। इस नियम का प्रमुख उद्देश्य शिक्षा के प्रति बच्चों और अभिवावकों को को जागृत करना है। जिससे हमारे देश के ज्यादा से ज्यादा लोग शिक्षित हो सकें और शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हो।

इस नियम की शुरूआत केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा किया गया है, इस नियम को 2020 में लाई गई शिक्षा नीति को बेहतर बनाने के लिए किया गया है।

nipun bharat mission

हम इस लेख में हम निपुण भारत योजना के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी देंगे।

nipun bharat mission

जैसे की सरकार द्वारा लाया गया nipun bharat mission / निपुण भारत मिशन क्या है ? इस मिशन का उद्देश्य, विशेषताएँ, और गाइडलाइन पी डी एफ के बारे में इस लेख में सारी जानकारी लायें हैं।

तो अगर आप निपुण भारत मिशन के बारे में ज्यादा जानने चाहते हैं, तो इस लेख को पूरा पढ़िये।
भारत के केंद्र सरकार ने शिक्षा के  क्षेत्र में अधिक से अधिक विकास लाने के लिए, निपुण भारत योजना 2022 की शुरुआत की है।

nipun bharat mission in hindi

इस निपुण भारत मिशन को 5 जुलाई 2021 में प्रारंभ किया गया । निपुण भारत मिशन का पूरा नाम (National Initiative For Proficiency in Reading with Understanding & Numeracy) है ।

इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के शिक्षा की नींव को मजबूत बनाया जाएगा। स्कूल तथा शिक्षा विभाग द्वारा इस नियम को संचालित किया जाएगा।

Launched byMinistry of Education
launched underSamagra Shiksha
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nipun bharat mission important information

निपुण भारत योजना का उद्देश्य क्या है?

इस नियम का प्रमुख उद्देश्य ये है, कि कक्षा 3 से कक्षा 6 तक के छात्रों में आधारभूत साक्षरता का ज्ञान प्रदान करना। जिससे छात्रों की शिक्षा ठीक प्रकार से हो सके।

ग्रेड 3 के बच्चों के लिए यह आवश्यक है, की उन बच्चों को बुनियादी शिक्षा और और उसके पाठकर्मों में निपुण बना सकें। इससे  छात्रों की आगे की पढाई के लिए और पाठकर्मों में आसानी होगी और वो छोटी ही उम्र में अन्य जानकारी को प्राप्त करने में सक्षम हो सकेंगे।

क्या है कार्यान्वयन प्रकिया?

निपुण भारत 2022 की शुरुआत शिक्षा को बेहतर बनाने और कार्यान्वयन प्रकिया को अच्छा बनाने के लिए किया गया है। निपुण भारत को भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा।

इसके लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित परदेशों में 5 स्तरीय तंत्र की स्थापना की जाएगी। निपुण भारत योजना के द्वारा 3 साल से 9 साल के बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, और उन्हें अच्छी और बुनियादी शिक्षा प्रदान की जाएगी।

निपुण भारत योजना के द्वारा वर्ष 2026_2027 तक का लक्ष्य ये रखा गया है इसमें प्री स्कूल 1, प्री स्कूल 2 और प्री स्कूल 3 (बाल वाटिका ) के बाद ग्रेड 1 , ग्रेड – 2 और ग्रेड 3 तक की कक्षाएँ होंगी।

इन सभी छात्रों  को इन कक्षाओं में गणित और भाषा का अच्छा ज्ञान दिया जाएगा।

क्या है नेशनल मिशन की भूमिका व कार्य

इस मिशन यानि की निपुण भारत मिशन में मूलभूत शिक्षा पर खास करके ध्यान दिया जाएगा। सभी विद्यार्थियों को उच्च और अच्छी शिक्षा प्रदान करके 2022 और 2023 के लिए तैयार किया जाएगा ।

इस निपुण भारत योजना के लिए मिशन की रणनीती और दस्तावेजों को तैयार किया जाएगा और इसके साथ साथ स्कूल शिक्षा और  साक्षरता विभाग शिक्षा मंत्रालय के रूप में कार्य भी करेगा।

निपुण भारत मिशन के कार्यान्वयन के लिए जारी किया गया बजट

केंद्र सरकार द्वारा निपुण भारत मिशन की शुरुआत 2020 में की गयी थी इस मिशन का मुख्य उद्देश्य नयी शिक्षा नीति के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए किया गया था केंद्र सरकार ने इस मिशन के लिए अच्छा खासा बजट जारी किया है ।

राश्ट्रीय साक्षरता एवं संख्या ज्ञान दक्षता पहल

विवरणिका

प्रस्तावना : आधारभूत शिक्षण बच्चे के भावी शिक्षण का आधार है। बोध के साथ पठन, लेखन और मूलभूत गणितीय प्रश्नों को हल करने के मूलभूत कौशलों को प्राप्त न कर पाने से, बच्चा कक्षा-3 के बाद की पाठ्यचर्या जटिलताओं के लिए तैयार नहीं हो पाता है।

प्रारंभिक शिक्षण की महता को देखते हुए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में उल्लेख किया गया है कि “हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता 2025 तक प्राथमिक और उससे आगे सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करने की होनी चाहिए।

यदि हम सबसे पहले इस महत्वपूर्ण मूलभूत शिक्षण (अर्थात् प्रारंभिक स्तर पर पठन, लेखन और गणित कौशल) को प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तो शेष नीति हमारे छात्रों की एक बड़ी संख्या के लिए मुख्य रूप से अप्रासंगिक हो जाएगी।” इस दिशा में, शिक्षा मंत्रालय (एमओई) द्वारा एक राष्ट्रीय मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान मिशन की प्राथमिकता पर स्थापना की जा रही है।

मिशन अधिगम के पांच क्षेत्रों-बच्चों को उनकी स्कूली शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में पहुंच प्रदान करना और उन्हें स्कूलों में बनाये रखना, शिक्षक क्षमता निर्माण, उच्च गुणवत्ता एवं विविधतापूर्ण छात्र एवं शिक्षण संसाधनों/अधिगम सामग्री का विकास, अधिगम परिणाम उपलब्धि में प्रत्येक छात्र की प्रगति को ट्रैक करना तथा बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य (मानसिक स्वास्थ्य सहित) पहलुओं के समाधान पर घ्यान देगा।

मिशन का उद्देश्य एक सक्षम परिवेश का निर्माण करना है ताकि मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के सार्वभौमिक अर्जन को सुनिश्चित किया जा सके, जिससे प्रत्येक बच्चा ग्रेड-प्प्प् के बाद पठन, लेखन और संख्या ज्ञान कौशल की अपेक्षित शिक्षण-क्षमताओं को प्राप्त कर ले।

मिशन 3 से 9 वर्ष के आयु के बच्चों की अधिगम-आवश्यकताओं को कवर करेगा। तदनुसार, अधिगम-अंतराल और इसके संभावित कारणों की पहचान और स्थानीय परिस्थितियों एवं देश की विविधता को ध्यान में रखते हुए, विभिन्न कार्यनीतियों के लिए राष्ट्रव्यापी पहल शुरू की जाएगी।

इसके अलावा, प्री-स्कूल एवं कक्षा-। के बीच मजबूत संबंध स्थापित करने और सुचारू कक्षा-अंतरण के उद्देश्य से एनसीईआरटी द्वारा तैयार किए गए ईसीसीई पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क को आंगनवाड़ी और प्री-प्राइमरी स्कूल दोनों द्वारा अपनाया जाएगा ताकि कक्षा-। में सुचारू कक्षा-अंतरण सुनिश्चित किया जा सके।

इस प्रकार, अधिगम समग्र, एकीकृत, समावेशी, आनंदमय और बच्चों को आकर्षित करने वाला होगा। एफएलएन मिशन शिक्षा मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा और सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय-राज्य-जिला-ब्लॉक-स्कूल स्तर पर एक पांच-स्तरीय कार्यान्वयन व्यवस्था की जाएगी।

इस पर बल देने एवं इसे प्राथमिकता देने की दृष्टि से कार्यक्रम को मिशन पद्धति में कार्यान्वित किया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय का स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वयन एजेंसी होगा और इसकी अध्यक्षता मिशन निदेशक करेंगे।

कार्यक्रम को दीर्घकालीन कार्यनीति एवं कार्य योजना को तैयार करते हुए, विशेष रूप से मिशन एवं राज्योंसंघ राज्य क्षेत्रों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों पर फोकस किया जाएगा।

मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान कार्यान्वयन संबंधी समग्र दिशा-निर्देश, राष्ट्रीय साक्षरता एवं संख्या ज्ञान पहल (निपुण भारत)-मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के प्रमुख तकनीकी पहलुओं के साथ-साथ राष्ट्रीय, राज्य, जिला, ब्लॉक और स्कूल स्तर पर कार्यान्वयन व्यवस्था को प्रभावी ढंग से स्थापित करने के प्रशासनिक पहलुओं को कवर करते हैं।

इसे कार्यान्वयन भागीदारों और क्षेत्र-विशेषज्ञों के साथ बहुत से गहन परामर्शों के माध्यम से तैयार किया गया है। इसे लचीला और सहयोगी बनाने पर भी समुचित ध्यान दिया गया है।

इस प्रकार, एफएलएन पर राष्ट्रीय मिशन को मौजूदा मुख्य स्रोत अवसंरचना के प्रयोग द्वारा सुदृढ़ बनाकर कार्यान्वित किया जाएगा और यह सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से समग्र दृष्टिकोण को अपनाएगा।

मूलभूत साक्षरता को समझना

स्कूल शिक्षा प्रणाली की सर्वोच्च प्राथमिकता 2026-27 तक प्राथमिक स्तर पर मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान की सार्वभौमिक प्राप्ति करना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस बात को भी उजागर करती है कि इस समय प्रारंभिक स्तर पर पढ़ रहे बच्चों की बड़ी संख्या ने मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को प्राप्त नहीं किया है।

एनईपी, 2020 आगे इस बात को भी दोहराती है कि इस चिंता का तत्काल समाधान जरूरी है ताकि मूलभूत शिक्षण को स्कूलों में ही पूरा किया जा सके जिससे सभी छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा-प्राप्ति के अवसर मिल सके।

सभी बच्चों के लिए मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मिशन बन जाना चाहिए। छात्रों को, उनके स्कूल, शिक्षकों, माता-पिता और समुदाय के साथ, सभी संभावित तरीकों से तत्काल सहायता देने और उन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि सभी महत्वपूर्ण लक्ष्यों और मिशन को पूरा करने में मदद की जा सके, जो वस्तुतः पूरे भावी शिक्षण की नींव तैयार करते हैं।

राष्ट्रीय विकास में मूलभूत कौशलों की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के तहत यह घोषणा की गई थी कि एक राष्ट्रीय मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान मिशन की शुरूआत की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 2026-27 तक देश में प्रत्येक बच्चा कक्षा-3 में मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान को अनिवार्य रूप से प्राप्त कर लेता है।

इस प्रयोजन के लिए, एक रोमांचक पाठ्यचर्या फ्रेमवर्क-बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करने वाली अधिगम सामग्री-ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों मोड में, शिक्षण परिणाम, अध्यापक क्षमता निर्माण और उनके मापन सूचकांक, मूल्घ्यांकन विधि आदि को तैयार किया जाएगा ताकि इन्हें चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ाया जा सके।

इस संदर्भ में, शिक्षा मंत्रालय द्वारा “राष्ट्रीय साक्षरता एवं संख्या ज्ञान दक्षता पहल (निपुण भारत)” नामक राष्ट्रीय मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान मिशन की प्राथमिकता के साथ स्थापना की जा रही है।

राष्ट्रीय मिशन राज्योंसंघ राज्य क्षेत्रों के लिए प्राथमिकताएं और कार्यान्वित की जाने वाली मदों को निर्धारित करता है ताकि प्रत्येक बच्चे के लिए कक्षा-3 तक मूलभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान में दक्षता के लक्ष्य को प्राप्घ्त किया जा सके।

इस मिशन को केंद्र प्रायोजित योजना-समग्र शिक्षा के तत्वाधान में स्थापित किया जाएगा, जो स्कूल शिक्षा के लिए एकीकृत योजना है तथा यह प्री-स्कूल से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर को कवर करती है।

यह योजना प्री-स्कूल से कक्षा-3 सहित 3 से 9 वर्ष के बच्चों पर ध्यान केंद्रित करती है। उन कक्षा-4 और कक्षा-5 के बच्चों, जिन्होंने मूलभूत कौशलों को प्राप्त नहीं किया है, को आयु अनुरूप और अनुपूरक कक्षा अधिगम सामग्री दी जाएगी ताकि आवश्यक दक्षता हासिल की जा सके।

मूलभूत साक्षरता और संख्या झान कार्य संबंधी दिशा निर्देश अनुसार निम्नलिखित बातों पर ध्यान देते हैं

भूत भाषा और साक्षरता समझ

पठन, लेखन और संख्यात्मक आधारभूत गणन कार्यों को करने की क्षमता भावी स्कूली शिक्षा एवं जीवनपर्यंत शिक्षण के लिए आवश्यक नींव और अपरिहार्य पूर्वापेक्षा है।

भाषा का पूर्व ज्ञान भाषा में साक्षरता कौशल के निर्माण में सहायता करता है। जिन बच्चों की अपनी गृह भाषा में मजबूत पकड़ होती है वे अंग्रेजी/द्वितीय भाषा को और अधिक सरलता से सीख सकते हैं।

इसके अलावा, मूलभूत साक्षरता कौशलों को स्कूल में पोषित किया जाता है और अधिकतर यह उस भाषा के प्रति अध्यापकों की समझ एवं दृष्टिकोण पर निर्भर करता है जिस भाषा को बच्चे स्कूल में लेकर आते हैं अर्थात् जो उनकी गृह भाषा होती है।

मूलभूत भाषा और साक्षरता के मुख्य घटक निम्नानुसार हैंः-

  1. मौखिक भाषा विकास: पठन एवं लेखन में कौशल विकास के लिए मौखिक भाषा अनुभव महत्वपूर्ण है।
  2. पठन बोध : यह क्षेत्र पाठ-बोध क्षमता और उससे जानकारी प्राप्त करने के साथ-साथ पाठ की व्याख्या को कवर करता है।
  3. चित्रकारी की अवधारणा: बच्चों को कौशल बोध विकास के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की चित्रकारी को देखने के अवसर देने की जरूरत है।
  4. लेखन : इस क्षेत्र में अक्षर और शब्द लेखन दक्षता के साथ-साथ अभिव्यक्ति लेखन शामिल है।
  5. ध्वनि बोध : इस क्षेत्र में, शब्द बोध, लय बोध और शब्दों में निहित ध्वनि बोध, जो भाषा के साथ उनके अर्थ-पूर्ण संबंध से उत्पन्न होती है, शामिल हैं।

मूलभूत संख्या ज्ञान और गणित कौशल

मूलभूत साक्षरता का अर्थ तर्क योग्यता और साधारण गणितीय सिद्धांतों का दैनिक जीवन की समस्याओं को सुलझाने में प्रयोग से है। संख्याओं के साथ गणितीय कार्य और स्थानिक समझ किसी भी बातचीत और दैनिक जीवन के कार्यों का अभिन्न अंग है।

प्रारंभिक गणित के मुख्य पहलु और घटक निम्नलिखित हैंः-

  1. गणितीय विधि में दक्षता के लिए जरूरी परंपरा को सीखना जैसे अंकों को दर्शाने के लिए मूल दशांक प्रणाली का उपयोग करना
  2. अपने ढंग से तीन अंकों का साधारण घटा-जोड़, भाग-गुणा (गणना) और इनका विभिन्न संदर्भों में अपने जीवन कार्यों में प्रयोग करना

हम आशा करते हैं, कि आपको हमारी nipun bharat mission के बारे में जानकारी पसंद आई होगी।